लंका काण्ड दोहा 77
Filed under:
Lanka Kand
चौपाई :बिनु प्रयास हनुमान उठायो। लंका द्वार राखि पुनि आयो॥तासु मरन सुनि सुर गंधर्बा। चढ़ि बिमान आए नभ सर्बा॥1॥ भावार्थ:- हनुमान्जी ने उसको बिना ही परिश्रम के उठा लिया और लंका के दरवाजे पर रखकर वे लौट आए। उसका मरना सुनकर देवता