लंका काण्ड दोहा 85
Filed under:
Lanka Kand
चौपाई :इहाँ बिभीषन सब सुधि पाई। सपदि जाइ रघुपतिहि सुनाई॥नाथ करइ रावन एक जागा। सिद्ध भएँ नहिं मरिहि अभागा॥1॥ भावार्थ:- यहाँ विभीषणजी ने सब खबर पाई और तुरंत जाकर श्री रघुनाथजी को कह सुनाई कि हे नाथ! रावण एक यज्ञ कर रहा है। उसके सिद्ध