लंका काण्ड दोहा 69
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चौपाई :कुंभकरन मन दीख बिचारी। हति छन माझ निसाचर धारी॥भा अति क्रुद्ध महाबल बीरा। कियो मृगनायक नाद गँभीरा॥1॥ भावार्थ:- कुंभकर्ण ने मन में विचार कर देखा कि श्री रामजी ने क्षण मात्र में राक्षसी सेना का संहार कर डाला। तब वह महाबली वीर