सुंदरकाण्ड दोहा 05
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चौपाई :प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1॥भावार्थ:- अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए। उसके लिए विष अमृत हो जा