लंका काण्ड दोहा 37
Filed under:
Lanka Kand
चौपाई :जेहिं जलनाथ बँधायउ हेला। उतरे प्रभु दल सहित सुबेला॥कारुनीक दिनकर कुल केतू। दूत पठायउ तव हित हेतू॥1॥ भावार्थ:- जिन्होंने खेल से ही समुद्र को बँधा लिया और जो प्रभु सेना सहित सुबेल पर्वत पर उतर पड़े, उन सूर्यकुल के ध्वजास्वर