लंका काण्ड दोहा 97
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चौपाई :प्रभु छन महुँ माया सब काटी। जिमि रबि उएँ जाहिं तम फाटी॥रावनु एकु देखि सुर हरषे। फिरे सुमन बहु प्रभु पर बरषे॥1॥ भावार्थ:- प्रभु ने क्षणभर में सब माया काट डाली। जैसे सूर्य के उदय होते ही अंधकार की राशि फट जाती है (नष्ट हो जाती ह