लंका काण्ड दोहा 101
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छंद :जब कीन्ह तेहिं पाषंड। भए प्रगट जंतु प्रचंड॥बेताल भूत पिसाच। कर धरें धनु नाराच॥1॥ भावार्थ:-जब उसने पाखंड (माया) रचा, तब भयंकर जीव प्रकट हो गए। बेताल, भूत और पिशाच हाथों में धनुष-बाण लिए प्रकट हुए!॥1॥ जोगिनि गहें करबाल। एक हाथ म