लंका काण्ड दोहा 109
Filed under:
Lanka Kand
चौपाई :प्रभु के बचन सीस धरि सीता। बोली मन क्रम बचन पुनीता॥लछिमन होहु धरम के नेगी। पावक प्रगट करहु तुम्ह बेगी॥1॥ भावार्थ:- प्रभु के वचनों को सिर चढ़ाकर मन, वचन और कर्म से पवित्र श्री सीताजी बोलीं- हे लक्ष्मण! तुम मेरे धर्म के नेगी (धर