लंका काण्ड दोहा 105
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चौपाई :मंदोदरी बचन सुनि काना। सुर मुनि सिद्ध सबन्हि सुख माना॥अज महेस नारद सनकादी। जे मुनिबर परमारथबादी॥1॥ भावार्थ:- मंदोदरी के वचन कानों में सुनकर देवता, मुनि और सिद्ध सभी ने सुख माना। ब्रह्मा, महादेव, नारद और सनकादि तथा और भी जो