अयोध्याकाण्ड दोहा 277
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चौपाई :जासु ग्यान रबि भव निसि नासा। बचन किरन मुनि कमल बिकासा॥तेहि कि मोह ममता निअराई। यह सिय राम सनेह बड़ाई॥1॥ भावार्थ:- जिन राजा जनक का ज्ञान रूपी सूर्य भव (आवागमन) रूपी रात्रि का नाश कर देता है और जिनकी वचन रूपी किरणें मुनि रूपी कम