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अयोध्याकाण्ड दोहा 310

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चौपाई :भरत अत्रि अनुसासन पाई। जल भाजन सब दिए चलाई॥सानुज आपु अत्रि मुनि साधू। सहित गए जहँ कूप अगाधू॥1॥ भावार्थ:- भरतजी ने अत्रिमुनि की आज्ञा पाकर जल के सब पात्र रवाना कर दिए और छोटे भाई शत्रुघ्न, अत्रि मुनि तथा अन्य साधु-संतों सहित 

अयोध्याकाण्ड दोहा 309

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चौपाई :धन्य भरत जय राम गोसाईं। कहत देव हरषत बरिआईं॥मुनि मिथिलेस सभाँ सब काहू। भरत बचन सुनि भयउ उछाहू॥1॥ भावार्थ:- ‘भरतजी धन्य हैं, स्वामी श्री रामजी की जय हो!’ ऐसा कहते हुए देवता बलपूर्वक (अत्यधिक) हर्षित होने लगे। भरतजी के वचन सुन

अयोध्याकाण्ड दोहा 308

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चौपाई :एकु मनोरथु बड़ मन माहीं। सभयँ सकोच जात कहि नाहीं॥कहहु तात प्रभु आयसु पाई। बोले बानि सनेह सुहाई॥1॥ भावार्थ:- मेरे मन में एक और बड़ा मनोरथ है, जो भय और संकोच के कारण कहा नहीं जाता। (श्री रामचन्द्रजी ने कहा-) हे भाई! कहो। तब प्रभु की

अयोध्याकाण्ड दोहा 307

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चौपाई :सभा सकल सुनि रघुबर बानी। प्रेम पयोधि अमिअँ जनु सानी॥सिथिल समाज सनेह समाधी। देखि दसा चुप सारद साधी॥1॥ भावार्थ:- श्री रघुनाथजी की वाणी सुनकर, जो मानो प्रेम रूपी समुद्र के (मंथन से निकले हुए) अमृत में सनी हुई थी, सारा समाज शिथि

अयोध्याकाण्ड दोहा 306

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चौपाई :सहित समाज तुम्हार हमारा। घर बन गुर प्रसाद रखवारा॥मातु पिता गुर स्वामि निदेसू। सकल धरम धरनीधर सेसू॥1॥ भावार्थ:- गुरुजी का प्रसाद (अनुग्रह) ही घर में और वन में समाज सहित तुम्हारा और हमारा रक्षक है। माता, पिता, गुरु और स्वामी क

अयोध्याकाण्ड दोहा 305

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चौपाई :जानहु तात तरनि कुल रीती। सत्यसंध पितु कीरति प्रीती॥समउ समाजु लाज गुरजन की। उदासीन हित अनहित मन की॥1॥ भावार्थ:- हे तात! तुम सूर्यकुल की रीति को, सत्यप्रतिज्ञ पिताजी की कीर्ति और प्रीति को, समय, समाज और गुरुजनों की लज्जा (मर्य

अयोध्याकाण्ड दोहा 304

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चौपाई :भरत सुभाउ न सुगम निगमहूँ। लघु मति चापलता कबि छमहूँ॥कहत सुनत सति भाउ भरत को। सीय राम पद होइ न रत को॥1॥ भावार्थ:- भरतजी के स्वभाव का वर्णन वेदों के लिए भी सुगम नहीं है। (अतः) मेरी तुच्छ बुद्धि की चंचलता को कवि लोग क्षमा करें! भरत

अयोध्याकाण्ड दोहा 303

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चौपाई :कृपासिंधु लखि लोग दुखारे। निज सनेहँ सुरपति छल भारे॥सभा राउ गुर महिसुर मंत्री। भरत भगति सब कै मति जंत्री॥1॥ भावार्थ:- कृपासिंधु श्री रामचन्द्रजी ने लोगों को अपने स्नेह और देवराज इन्द्र के भारी छल से दुःखी देखा। सभा, राजा ज