अयोध्याकाण्ड दोहा 326
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चौपाई :पुलक गात हियँ सिय रघुबीरू। जीह नामु जप लोचन नीरू॥लखन राम सिय कानन बसहीं। भरतु भवन बसि तप तनु कसहीं॥1॥ भावार्थ:- शरीर पुलकित है, हृदय में श्री सीता-रामजी हैं। जीभ राम नाम जप रही है, नेत्रों में प्रेम का जल भरा है। लक्ष्मणजी, श्