लंका काण्ड दोहा 25
Filed under:
Lanka Kand
चौपाई : :सुनु सठ सोइ रावन बलसीला। हरगिरि जान जासु भुज लीला॥जान उमापति जासु सुराई। पूजेउँ जेहि सिर सुमन चढ़ाई॥1॥ भावार्थ:-(रावण ने कहा-) अरे मूर्ख! सुन, मैं वही बलवान् रावण हूँ, जिसकी भुजाओं की लीला (करामात) कैलास पर्वत जानता है। जिस