उत्तर काण्ड दोहा 01
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चौपाई :रहेउ एक दिन अवधि अधारा। समुझत मन दुख भयउ अपारा॥कारन कवन नाथ नहिं आयउ। जानि कुटिल किधौं मोहि बिसरायउ॥1॥भावार्थ:- प्राणों की आधार रूप अवधि का एक ही दिन शेष रह गया। यह सोचते ही भरतजी के मन में अपार दुःख हुआ। क्या कारण हुआ कि नाथ न